प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
लेकिन हम एक पर ही ठहरे रहे
और राह तकते रहे ,
जड़ हो गये ।
ज़ाहिर है ,
हम लोग भाव से अधिक व्यक्ति की चाह में खप जाते हैं ।
हम प्रेम नहीं चाहते ,
प्रेमी चाहते हैं ।
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
लेकिन हम एक पर ही ठहरे रहे
और राह तकते रहे ,
जड़ हो गये ।
ज़ाहिर है ,
हम लोग भाव से अधिक व्यक्ति की चाह में खप जाते हैं ।
हम प्रेम नहीं चाहते ,
प्रेमी चाहते हैं ।