प्रेम ओर जीवन
मैं बिखर रहा हूं!
वो सवंर रही होगी!!
मैं तड़प रहा हूं!
वो हँस रही होगी!!
मैं बेरंग पानी सा हूं!
वो गुलाल में रंग रही होगी!!
मैं जाम में पागल हूँ!
वो घरवार में पागल होगी!!
मेरा इश्क़ खत्म नही हुआ!
वो दुलार में पड़ी होगी!!
मैं कितना अकेला हूँ सावन में!
वो हरी हरी चूड़ियों से सज रही होगी!!
मेरी बातें भाती नही किसी को!
वो घर की महफ़िल में होगी!!
मेरी सांसे कम बची है!
वो सुहाग बचा रही होगी!!
मैं दर दर भटक रहा हूँ!
वो अपना घर सजा रही होगी!!
मैं घुम रहा हूँ बेहोश बेतहाशा!
वो कुल्लू की सर्दियों सी किसी के आगोश में होगी!!
मैं कितना हुआ उसका!
क्या वो मेरी कभी नही होगी!!
❤️