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12 Dec 2020 · 1 min read

#कविता//प्रेम

#प्रेम-उल्लाला छंद

रहना सीखो प्रेम से , मज़ा नहीं तकरार में।
ज़न्नत जैसा सुख मिले , प्रेम भरे व्यवहार में।।

हृदय जीत ले प्रेम जो , शक्ति नहीं तलवार में।
दीवाना हर दिल बने , दम हो जब इक़रार में।।

आँखें तो कहती रहें , बातें-दिल दीदार में।
पढ़ पाता है पर वही , जीता हो जो प्यार में।।

भूल शिकायत और से , सजा हृदय इतबार में।
सत्य मधुरता जोड़िए , कशिश तभी इसरार में।

पल में जीना सीखिए , ख़ुशियाँ पल स्वीकार में।
पल में खींचे ध्यान तो , प्रभा छिपी मिक़दार में।।

‘प्रीतम’ कश्ती प्रेम की , डूबी कब मझधार में।
लहरों से वो जूझ के , पार लगी हर बार में।

#सर्वाधिकार सुरक्षित रचना
कवि-आर.एस.’प्रीतम’

Language: Hindi
1 Like · 258 Views
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