प्रेम ईश है
ढाईआखर प्रीति का पढ़लो बन जाओ तुम पंडित ज्ञानी|
बिना चाह के उतरेगी मन में उमंग बनकर शैतानी |
व्यापक रूप मुहब्बत का, जो समझ गए तो प्रेम ईश हैं|
जीजस औ अल्लाह इधर , तो उत वाहेगुरु, शंकर ध्यानी|
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता