प्रेम आनंद
प्रेम मार्ग एक ही मार्ग है,
सदा रहे आनंद के संग,
छूटे तो दुःख घेर बैठे,
मिलिए न कोई फिर संग।…………(1)
प्रेम हृदय में जो बसे,
तैसे बसे न कोई और,
प्रीत ‘बुद्ध’ से मन में बसे,
तैसे सुख न मिले कहीं और।………(2)
प्रेम की वाणी हृदय से कहिये,
हृदय में बसे तब जाके ‘महावीर’ ,
प्रेम के खातिर त्यागे नश्वर बीज,
प्राप्त किया जिन का वह रूप।……….(3)
प्रेम मार्ग है एक ही सत्य,
प्रेम पाये लिए जो भी भक्त,
प्रेम से किए है जो भी तप,
प्रेम में प्रभु को पा लिए है।………..(4)
प्रेम एक स्तुति है,
परमात्मा से जुड़ी है,
प्रेम एक ही अंश है,
परमात्मा के संग है।…………(5)
प्रेम करें जो जग जाने,
प्रेम से ही जगदीश पाने,
प्रेम का एक क्षण अमृत
प्रेम में जग से मोक्ष मिले।………..(6)
प्रेम ‘रब’ की इबादत है,
प्रेम ‘खुदा’ की इनायत है,
प्रेम गान सुफियाना तरंग,
प्रेम से जन्नत का नूर है ।………….(7)
रचनाकार ✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।