प्रेमी का खत
[ प्रस्तुत कृति में एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को खत लिखकर उसका उसके जीवन में महत्व को बयां कर रहा है।]
एक लेखक की कलम हो तुम
एक कवि की प्रेरणा हो तुम
एक नाटक की नटी हो तुम
एक कलाकार की कला हो तुम
एक साधु की साधना हो तुम
एक पंडित का पांडित्य हो तुम
एक जिज्ञासु की जिज्ञासा हो तुम
पुष्पों में कमल हो तुम
नक्षत्रों में रोहिणी हो तुम
कामिनियो में रति हो तुम
सतियो में सावित्री हो तुम
छंदों में गायत्री हो तुम
सूर्य की प्रभा हो तुम
दीपक की ज्योति हो तुम
ज्ञानियो का भाष्य हो तुम
वेद की ऋचा हो तुम
हर मर्ज की दवा हो तुम
जीवन की चेतना हो तुम
पूर्णिमा की चांदनी हो तुम
मेरे मन में उठती उमंग हो तुम
मेरी प्रत्यक्ष कल्पना हो तुम
मेरे शरीर में हृदय हो तुम ।।