प्रेमिका
प्रेमिका
मासूम सी खिलखिलाती कोई कली हो तुम
दिल की बहारों में छायी वो दिल्लगी हो तुम
तुम्हारी वो काली घनी जुल्फों का नजारा
जिसे देखकर खो जाये ये आशिक़ आवारा
तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान क्या गजब ढाती है
चेहरे पे हँसी और होठों पे लाली छा जाती है
चेहरे पे सादगी और सच्चाई जैसी हो तुम
चाय में घुली मिठास की प्याली हो तुम
वो माथे की बिंदी वो आँखों का काजल
वो कानों की झुमके कर देते हैं घायल
प्रेमिका बनके आयी तुम जब मेरे जीवन में
खिल गया जीवन मन तरंगों के बगियन में
तुम्हारी भोली भाली सूरत बसी है ऐसी मन में
जिंदगी भर भी ना भूले इस पूरे ही जीवन में
तुम्हारी वो नटखट अदाएँ वो अलहड़पन
मेरे हर अंश में बस गया है तेरा पागलपन
ममता रानी