Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 May 2024 · 1 min read

प्रेमिका को उपालंभ

क्या भूल गयी वो मेरे संग गुजरी सारी राते?
क्या भूल गयी वो जो कुछ छूटी अधूरी बाते?
कैसे अपने साजन के हाथों में हाथ धरा तुमने?
कैसे अपनी मांग में उस सिंदूर को भरा तुमने?
कैसे अपनी साड़ी का गठजोड़ किया होगा?
कैसे उन पावन फेरो का वचन लिया होगा?
कैसे ली होंगी अपनी सखियों से प्यारी सौगाते?
क्या भूल गयी वो मेरे संग गुजरी सारी राते?(1)

जब तूने अपनी देहरी को ढोक दिया होगा।
तब मेरी यादों ने तेरा रस्ता रोक लिया होगा।
क्या नए घर की अगवानी में उस प्यार को पाया था।
जिसने तुझको बचपन से अब तक गले लगाया था।।
क्या मुझ पर तुम अपना हक नही जताते।
क्या भूल गयी वो मेरे संग गुजरी सारी राते।।(2)

क्या साजन की बाँहों में सुख पाता होगा मन,
क्या मेरे आलिंगन के जैसा काँपता होगा तन।
क्या मेरे अधरों के जैसा ही रसपान किया तुमने,
या बारिश के बादल का भी अपमान किया तुमने।
पहली बार मे जो खुश्बू महकी वो अब कँहा से लाते,
क्या भूल गयी वो मेरे संग गुजरी सारी राते।(3)

क्या अंतर्मन में इन सब प्रश्नों का सैलाब नही आया।
क्या तुमको अपना मीत पुराना भी याद नही आया।।
बताओ कैसे तुमने अपने पिया के आवेशों को झेला।
साजन के साथ कैसे प्रथम रात्रि के उन खेलो को खेला।
क्या रह गयी अब पीर हमारी जो सारी गाते
क्या भूल गयी वो मेरे संग गुजरी सारी राते।(4)
✍️प्रवीण भारद्वाज✍️

Language: Hindi
1 Like · 83 Views

You may also like these posts

फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विचारमंच ✍️✍️✍️
विचारमंच ✍️✍️✍️
डॉ० रोहित कौशिक
आखिर क्यों?
आखिर क्यों?
Rekha khichi
डॉ0 रामबली मिश्र की रचनाएं
डॉ0 रामबली मिश्र की रचनाएं
Rambali Mishra
प्रेम
प्रेम
Satish Srijan
जन्म जला सा हूँ शायद..!!
जन्म जला सा हूँ शायद..!!
पंकज परिंदा
शायर
शायर
श्याम सिंह बिष्ट
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
शेखर सिंह
महाभारत का युद्ध
महाभारत का युद्ध
Shashi Mahajan
कौन ये कहता है यूं इश्क़ में नया ठिकाना चाहिए,
कौन ये कहता है यूं इश्क़ में नया ठिकाना चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दोहा सप्तक. . . . जिन्दगी
दोहा सप्तक. . . . जिन्दगी
sushil sarna
करते हो करते रहो, मुझे नजर अंदाज
करते हो करते रहो, मुझे नजर अंदाज
RAMESH SHARMA
"अक्सर"
Dr. Kishan tandon kranti
Time and tide wait for none
Time and tide wait for none
VINOD CHAUHAN
** चीड़ के प्रसून **
** चीड़ के प्रसून **
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
सभी  जानते हैं  इस  जग में, गाय  हमारी माता है
सभी जानते हैं इस जग में, गाय हमारी माता है
Dr Archana Gupta
Don't get hung up
Don't get hung up
पूर्वार्थ
चक्रधारी श्रीकृष्ण
चक्रधारी श्रीकृष्ण
ललकार भारद्वाज
चिंगारी
चिंगारी
Jai Prakash Srivastav
खुद को खोल कर रखने की आदत है ।
खुद को खोल कर रखने की आदत है ।
Ashwini sharma
अंगद उवाच
अंगद उवाच
Indu Singh
गांव गाय अरु घास बचाओ !
गांव गाय अरु घास बचाओ !
Anil Kumar Mishra
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
Shweta Soni
3330.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3330.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी गुज़र जाती हैं
जिंदगी गुज़र जाती हैं
Neeraj Agarwal
😊कामना😊
😊कामना😊
*प्रणय*
गर्मी
गर्मी
Ranjeet kumar patre
वनक पुकार
वनक पुकार
श्रीहर्ष आचार्य
ख्वाब
ख्वाब
Phool gufran
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
Loading...