प्रेममयी अभिलाषा – कविता
लागि है तोसे नजर
एक बार देख तो इधर
प्रेम का इजहार तो कर
थक गए नैन मगर
नैनों की भाषा समझ
प्यारी जिंदगानी है महज़
दो घड़ी तो ठहर
फिर हो जाएगी प्रहर
छलके नैनों से नीर अगर
थम जाए ना ये डगर
गर ये नैन भी मदीरा छलकाए
शब्द भी निःशब्द हो जाए
ठुकरा के यूं ना जईयो नैनों की परिभाषा
यही जीवन के रंगों से भरी प्रेममयी अभिलाषा