प्रेमचंद
#दिनांक:- 31/7/2023
#शीर्षक:- साहित्य का हीरा
कवि, लेखक…. मात्र नहीं,
साहित्य का हीरा था,
सबकी वेदना,
अपने शब्दों से पिरोया था,
कर्मठ और सजग था,
अपने दायित्व के प्रति,
सुविख्यात संवेदनशील भी,
करारा व्यंग्य और जन साधारण पात्र,
कहीं झलकती वेदना,
तो कहीं संवेदना किसान की,
हीरा-मोती के लिए प्यार मात्र,
धिक्कारता ऊँच-नीच के भेद को,
परिवेश बताता समाज का,
धन्य है लमही,
धन्य थे वो लोग,
धन्य थे परिजन… मित्रगण,
सानिध्य लिए,
साक्षात्कार किये महान साहित्य का,
साहित्यकार का भी,
धन्य हुआ हिंदी-उर्दू का आँचल,
प्रेमचंद को पाकर।
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है|
प्रतिभा पाण्डेय”प्रति”
चेन्नई