Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jul 2023 · 3 min read

“ प्रेमक बोल सँ लोक केँ जीत सकैत छी ”

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
=================================
प्रेमक दू शब्द सुनबाक ललक सबकेँ होइत छैक ! मन तृप्त भ’ जाइत छैक ! ढाढ़स बन्ह लगैत अछि ! नवीन उमंगक आभास होमय लगैत अछि ! किछु आर करबाक जिज्ञासा हृदय मे उभरय लगैत अछि ! जीवनक प्रत्येक पड़ाव पर हमर भीतर एकटा बालक नुकायल रहैत अछि ! मात्र बच्चे टा क नहिं अपितु प्रत्येक व्यक्ति केँ प्रोत्साहन ,प्रशंसा आ ढाढ़स क जरूरत पड़ैत छैक !बच्चा सेहो स्नेह आ प्रेमक दू शब्दक भूखल होइत अछि ! मधुर बोल सँ मनोबल बढि जाइत अछि ! विध्यार्थी केँ शिक्षक अपन मधुर बोलक फुहार सँ हुनकर मनोबल बढ़बैत छथिन ! अधिकारीगण अपन कनिष्ठ सहयोगी केँ मृदुलता क स्वर मे जखन किछु कहैत छथि त सहयोगी मे नवीन स्फूर्ति क प्राण संचालित होइत छनि ! समांतर( VARIABLE ) नेतृत्व क सेना सहो स्वीकार करैत अछि ! प्रत्येक डेग -डेग पर प्रेमक दू बोलक महत्व अद्भुत होइत अछि !

प्रेमक दू शब्द सुनबाक अभिलाषा ल केँ हमरलोकनि असंख्य मित्र सँ फेसबुक क पन्ना सँ जुड़ी गेल छी ! अधिकांश लोक केँ कियो व्यक्तिगत रूपेण जनैत नहिं छथि आ नहिं चिन्हबो करैत छथि ! कियाक त इ यंत्र समस्त सरहद क देबाल केँ तोडि सात समुद्र लाँघि मित्रता केँ एकटा नव स्वरूप प्रदान केने अछि ! जाति ,वर्ण आ लिंग रहित एकटा मित्रता क विशाल कड़ी बनि गेल अछि ! इ कड़ी क विशेषता बड्ड अपूर्व अछि !
की पैघ ,की छोट ,की नेता ,की अभिनेता आ की स्त्रीगण सब केँ सब हमरा लोकनि फेसबुक क मित्र कहबैत छी !

भाषा कखनो आरि नहिं बनल ! संस्कृति ,रीति -रिवाज ,वेष -भूषा ,भाषा आ खान – पान जाननाय आ सीखबा क अवसर प्राप्त भेल ! दूर रहितो पास आबि गेलहूँ !
वस्तुतः , हम अनगिनत आ अनजान लोकनि सँ जुडैत चलि गेलहूँ ! हमरा लागल एकटा विशाल सेना क निर्माण क लेने छी ! प्रतिस्पर्धा क दौड़ मे आगा निकलय लेल हम हजारो दोस्त बना लेलहूँ ! परंच इ नेतृत्व विहीन समूह क रफ्तार सदैव अलग रहल ! प्रत्यक्ष रूपेण इ जुड़ल देखाइत अछि मुदा आंतरिक परिपेक्ष मे एक दोसर सँ अनभिज्ञ रहैत अछि ! सब अपन-अपन धुन मे मातल छथि ! फेसबुक क रंगमंच पर लेखक ,कलाकार ,कवि ,प्रवक्ता ,कलाकार ,राजनीतिज्ञ ,नेता ,अभिनेता ,नौकरशाह ,संगीतकार ,पत्रकार ,शिक्षक ,गायक ,विद्यार्थी ,बच्चा ,बूढ़ आ स्त्री -पुरुख क साथ अछि मुदा भूलल -बिसरल कियो किनको सँ सनिध्य क संयोग भ जाइत छैनि अन्यथा सब अपन-अपन फराक रास्ता चुनि लेने छथि ! अधिकांश लोक एक दोसर केँ नज़रंदाज़ करितेह भेटताह !

व्हाट्सप्प मे सहो हजार क हजार लोक जुड़ल छथि मुदा बहुत कम लोक एक दोसर सँ गप्प करैत छथि ! मोबाईल सँ गप्प -सप करबा क लालसा विलीन भेल जा रहल अछि ! आर त आर हमसब एकर गुलाम बनैत चलि गेलहूँ ! आ अपना लोकनि सभ सँ दूरि होइत चलि गेलहूँ ! परिवार मे जखन लोकक विकेन्द्रीकरण भ रहल अछि तखन अंचिन्हार फेसबुक मित्र आ व्हाट्सप्प मित्र केँ ध्यान देत ? अपन उपलब्धि ,अपन उद्गार आ विचार केँ व्हाट्सअप पर प्रस्तुत केनाय निरर्थक लगैत अछि ! बारी -बारी सँ सभक व्हाट्सप्प पर आहाँ अपन उपलब्धि क उल्लेख करि केँ देखि लिय
जवाब ,प्रतिक्रिया आ प्रेमक दू गोट शब्द क बात त छोडि दिय , हुनकर प्रतिक्रिया मे हजारो तथाकथित व्हाट्सप्प मित्र बेफ़जुल क मांगल -चाँगल पोस्ट भेजि देताह !
लोक प्रेमक दू शब्द क भूखल होइत अछि मुदा हमरा लोकनि सही समय पर मौन भ जाइत छी ! एकटा दूटा संभवतः सक्रिय नहिं भ सकैत छथि परंतु हजार क हजार असक्रिय केना भ सकैत छथि ? इ यंत्र हमरलोकनि सँ जुडबा क संदेश दैत अछि ! संवाद क माध्यम सँ हमसब एक दोसर सँ जुडि केँ रहि सकैत छी ! कदाचित हमरा लोकनि एहि रंगमंच क कलाकार होइतो प्रयोगिक रूपेण साक्षात्कार नहिं भ सकैत छी ! प्रेमक दू शब्द सँ एक मात्र हम एक दोसर केँ जीत सकैत छी आ अपन मित्रता केँ अक्षुण बना केँ राखि सकैत छी !
=====================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
शिव पहाड़
दुमका
झारखण्ड
भारत
27.07.2023

Language: Maithili
171 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बुरा समय
बुरा समय
Dr fauzia Naseem shad
मास्टर जी का चमत्कारी डंडा🙏
मास्टर जी का चमत्कारी डंडा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
भोले बाबा की कृप
भोले बाबा की कृप
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
बाबू
बाबू
Ajay Mishra
4323.💐 *पूर्णिका* 💐
4323.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तेरे दर पे आये है दूर से हम
तेरे दर पे आये है दूर से हम
shabina. Naaz
कुछ लोग
कुछ लोग
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
शेर-शायरी
शेर-शायरी
Sandeep Thakur
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
याद रखना...
याद रखना...
पूर्वार्थ
I am Sorry
I am Sorry
Mr. Bindesh Jha
किस बात की चिंता
किस बात की चिंता
Anamika Tiwari 'annpurna '
खोकर अपनों को यह जाना।
खोकर अपनों को यह जाना।
लक्ष्मी सिंह
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
चला गया
चला गया
Rajender Kumar Miraaj
हर रोज़ तुम्हारा पता पूछते उन गलियों में चला जाता हूं
हर रोज़ तुम्हारा पता पूछते उन गलियों में चला जाता हूं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"जो खुद कमजोर होते हैं"
Ajit Kumar "Karn"
तुम और मैं
तुम और मैं
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
चार दिन की जिंदगी
चार दिन की जिंदगी
Karuna Goswami
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे  दिया......
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे दिया......
Rakesh Singh
सच का सच
सच का सच
डॉ० रोहित कौशिक
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
ना अश्रु कोई गिर पाता है
ना अश्रु कोई गिर पाता है
Shweta Soni
मन मेरा कर रहा है, कि मोदी को बदल दें, संकल्प भी कर लें, तो
मन मेरा कर रहा है, कि मोदी को बदल दें, संकल्प भी कर लें, तो
Sanjay ' शून्य'
गरीबी और लाचारी
गरीबी और लाचारी
Mukesh Kumar Sonkar
जय श्री महाकाल
जय श्री महाकाल
Neeraj kumar Soni
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
कृष्णकांत गुर्जर
गुपचुप-गुपचुप कुछ हुए,
गुपचुप-गुपचुप कुछ हुए,
sushil sarna
🙅आज का दोहा🙅
🙅आज का दोहा🙅
*प्रणय*
Loading...