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10 Feb 2022 · 1 min read

प्रीत

आत्मीय प्रेम मे अभिव्यक्ति की आजादी नहीं होती
खोने का डर सतता है पाने की चाहत नहीं होती
वो सामने आ जायें तो जुबां सिल सी जाती है
नजरें घबराहट मे छुपने का ठिकाना तलाश करती हैं
धड़कने सासों से मिल जुगलबंदी सी करने लगती हैं
दिल मे सितार के संग बांसुरी बजने लगती है
सर से लेकर पाँव तक भीगा तन-बदन हो जाता है
ओस मे भीगे कंवल सा मन तर-बतर हो जाता है
यही वो प्रीत है जिसमे मीरा के गीत बसते हैं
यही वो प्रीत है जिसमे राधा के मीत बसते हैं
दौर बदले के जमाना ये मेयार तंग नहीं होगा
ये प्रीत का मेयार है ये मेयार कम नहीं होगा
M.Tiwari”Ayen”

Language: Hindi
572 Views
Books from Mahesh Tiwari 'Ayan'
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