” प्रीत “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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रख लो मुझे
तुम पलकों में ,
मैं भूले से ना
भटक जाऊ !
तेरी जुल्फों के
ही साये में ,
मैं चैन से अपनी
रात बिताऊ !!
उठकर मैं तेरी
छवि देखूं
आनंदित झट
से हो जाऊ ,
मिलने की निशदिन
चाह लिए
काश करीब
मैं आ जाऊ !!
सुने में तेरी
क़दमों की आहट
एहसास मुझे
भी होता है !
एक क्षण ही नहीं
सारी रातें
तेरे बिन मेरा
यूँ कटता है !!
जो प्रीत लगी है
तुमसे मुझे ,
वह कभी मलिन
ना हो पाए !
परिमल फूलों से
ना बिछुड़ सके
जीवन भर
यूँही मुसकाये !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका