प्रीत बावरी
भोली-सी ये प्रीत बावरी,
मन मेरा भरमाती है ।
पी’ आयेंगे, चुपके चुपके,
कानों में कह जाती है ।
स्वप्निल नैना द्वार निहारें,
मुख पर लाली छाती है।
हवा प्रेम के नये नये-से
किस्से रोज़ सुनाती है।
सुख-दुख का ये सागर जीवन,
पार करेंगे मिलकर हम ।
बीतेगा अब पल पल संग संग
सीख़ मुझे दे जाती हैं।
——राजश्री——