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18 Mar 2021 · 1 min read

प्रीत गहरी फ़क़ीर समझेगा

2122 + 1212 + 22
प्रीत गहरी फ़क़ीर समझेगा
बहते अश्क़ों की पीर समझेगा

चदरिया झीनी-झीनी रे जिसकी
रंग पक्का कबीर समझेगा

जाने घायल की गति को ही प्रेमी
कृष्ण मीरा की पीर समझेगा

इश्क़ ताउम्र जिसको तड़पाये
इक पहेली थी, हीर समझेगा

जो न जाना है इश्क़ की बातें
वो ही अश्क़ों को नीर समझेगा

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