प्रीत को अनचुभन रीत हो,
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प्रीत को अनचुभन रीत हो,
गुनगुनाती लब जो वो गीत हो,
शीत की सुबह सी अलसाई मीत हो,
गुदगुदाती नेह की अनकही स्पंदन हो,
प्रीत ..प्रेम पूजा ,नाम चाहे जो कहो,
हर श्वास में बस तुम ही तुम हो…
मनमंदिर मे बसी श्याम की मूरत हो ,
मीरा ,राधा,रुखमिन जो चाहे कह लो
देह के रोम रोम में बसे तुम ही तुम हो…।
,✍️अश्रु