प्रीतम मनवा गाबैत छी
प्रीतम मनवा गाबैत छी
जिनगी बीते जावैत छी
नेक विचारे करि ले किछु
तू कहू पाप कमाबैत छी
दुख कम करिबे प्रीतमक
जी काहे भरमाबैत छी
तन क गरब न करिबे किछु
खाक उड़े कि ले जावैत छी
हाथ किछु न लागल बउवा
जे पनछी इ उड़े जावैत छी
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प्रीतम मनवा गाबैत छी
जिनगी बीते जावैत छी
नेक विचारे करि ले किछु
तू कहू पाप कमाबैत छी
दुख कम करिबे प्रीतमक
जी काहे भरमाबैत छी
तन क गरब न करिबे किछु
खाक उड़े कि ले जावैत छी
हाथ किछु न लागल बउवा
जे पनछी इ उड़े जावैत छी
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