#प्रीतम के विशेष दोहे
छलिया का आभार कर,बुरा कभी ना मान।
चुभे शूल जब पाँव में,तभी सकें पहचान।।
लाख बुराई झेलिए , होना नहीं अधीर।
कमल पंक से ही निकल,लिखता निज तक़दीर।।
सही ग़लत जो भी करो , रहे तुम्हारे संग।
पीकर ताक़त दूध से , निर्बल करती भंग।।
भ्रम लेकर जीना नहीं , कुछ ना जाए साथ।
चोरी करके डर रहे , चाहे सोना हाथ।।
वैभव पाकर दंभ में , मूर्खों के हालात।
गुब्बारों – सा हाल ये , फूटे क्षण में तात।।
हँसते गाते प्रेम से , जो पल जाए बीत।
पल वो है मधुमास – सा , बना रहे मनमीत।।
प्यार जगे दीदार में , उर मन हो रंगीन।
मित्र उसी को मानिए , पल-पल करे हसीन।।
#आर.एस.’प्रीतम’
CR..#सृजन