प्रीतम के ख़ूबसूरत दोहे
ख़ून हुआ विश्वास का, मिला तभी अहसास।
समझ मिले राजा जिसे, सच में वो है दास।।//1
धैर्य नहीं जिसमें ज़रा, मानो दूध उफान।
झुका सकोगे तुम उसे, कितना ही हो ज्ञान।।//2
धोखा देकर घात दी, भुला सत्य हर बात।
उसे चैन के दिन नहीं, मिलें दर्द की रात।।//3
इंतज़ार करता रहूँ, पक्का हो दीदार।
एक झलक उसकी मिले, भव-सागर मैं पार।।//4
नदिया सागर से मिले, बदले अपना रूप।
लक्ष्य मिले तो रंक भी, बन जाता है भूप।।//5
पाक प्रेम को भूलना, करता दिल लाचार।
मेघ करे परहेज़ जल, बने नहीं साकार।।//6
सबसे मिलिए प्रेम से, सबका कर उपकार।
शाँति काँति बिन भ्रांति से, बीतेंगे दिन चार।।//7
#आर. एस. ‘प्रीतम’