“ प्रिय ! तुम पास आओ ”
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल”
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तुम दूर मुझसे ना जाया करो
तुम बेरुखी को ना दिखाया करो
इतने दिनों से मैं तड़पता रहा
अब और मुझको ना सताया करो
तुम दूर मुझसे ना जाया करो
तुम बेरुखी को ना दिखाया करो
इतने दिनों से मैं तड़पता रहा
अब और मुझको ना सताया करो
तेरी महक मेरी साँसों में है
तेरी छवि मेरी आँखों में है
यादों में तुम ऐसी बसी हो
बातें तो दिल के तारों में है
तेरी महक मेरी साँसों में है
तेरी छवि मेरी आँखों में है
यादों में तुम ऐसी बसी हो
बातें तो दिल के तारों में है
बीते दिनों को ना भुलाया करो
दूर कभी मुझसे ना जाया करो
इतने दिनों से मैं तड़पता रहा
अब और मुझको ना सताया करो
तुम दूर मुझसे ना जाया करो
तुम बेरुखी को ना दिखाया करो
इतने दिनों से मैं तड़पता रहा
अब और मुझको ना सताया करो
तुम्हें क्या पता मैं तड़पता रहा
दिल मिलने को मचलता रहा
जुदाई लव पे अब आने ना दो
बहुत होगया मन संभलता रहा
तुम्हें क्या पता मैं तड़पता रहा
दिल मिलने को मचलता रहा
जुदाई लव पे अब आने ना दो
बहुत होगया मन संभलता रहा
अब नज़रों से नज़रें मिलाया करो
मिलन के कोई गीत गया करो
इतने दिनों से मैं तड़पता रहा
अब और मुझको ना सताया करो
तुम दूर मुझसे ना जाया करो
तुम बेरुखी को ना दिखाया करो
इतने दिनों से मैं तड़पता रहा
अब और मुझको ना सताया करो !!
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत
10.01.2023