प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
प्रिय से न प्रेम है रहा, कहाँ है रसिक आप l l
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
प्रिय है तड़पन से तपा, प्रीत करे संताप ll
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
विरह बड़ा भूचाल सा , मन रहा काँप काँप ll
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
जिन्दगी भय भरी भरी, कल दिखे सकल सांप ll
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
अब बैचैनी है बड़ी , किस बैरी का श्राप ll
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
मन व जीवन दुखी दुखी, सहज रुदन आलाप ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न