” प्रिये की प्रतीक्षा “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल “
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जरा सा
देख लो मुझको
मैं कब से
राह तकता हूँ !
खड़ा हूँ
तेरे दर पर ही
जन्म से
आस रखता हूँ !!
ना जाओ
रूठ कर मुझसे
न जी
पाऊँगा मैं तुम बिन
मेरा तुम
हाल मत पुछो
नहीं कटते
हमारे दिन
चले आओ
जहाँ हो तुम
मुझे तुम
याद आते हो
करो ना
बेरुखी मुझसे
कहो तुम
क्यूँ सताते हो
शिकायत थी
तुम्हें मुझसे
कभी ना
सँग रहता हूँ
अभी मैं
दर पे आया हूँ
नहीं जाऊंगा
कहता हूँ
रहेंगे सँग
हम दोनों
मिलन के
गीत गाएँगे
नहीं बिछुड़ेंगे
जीवन में
सदा सँग
में बिताएँगे
जरा सा
देख लो मुझको
मैं कब से
राह तकता हूँ !
खड़ा हूँ
तेरे दर पर ही
जन्म से
आस रखता हूँ !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
15.02.2024.