प्रियतम
सीप नयन हैं अधखुले, श्याम वर्ण सम गात।
खोये स्वप्नों मेंं सजन, मधुर मधुर मुस्कात।
प्रिय की ऐसी प्रेरणा, आलिंगन की चाह।
हँस कर बोले प्रियतमा, मधुर मिलन की बात।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
सीप नयन हैं अधखुले, श्याम वर्ण सम गात।
खोये स्वप्नों मेंं सजन, मधुर मधुर मुस्कात।
प्रिय की ऐसी प्रेरणा, आलिंगन की चाह।
हँस कर बोले प्रियतमा, मधुर मिलन की बात।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम