प्रितम
प्रितम हे,तौर अंगना कखनहुँ के आयत
बैरी सासू दूलरी रहत,जँ के मोरा जानत
सात जनमक बैरी रहत,रसमधुर के जानत
तोँ बैसी सब दिन गाम पोखर जाकऽ के जानत
तोर रंगरससँ हम भीजल प्रितम,के इ जानत
जँ हमरा किछु केओ कहता तो मोरा नै जानत
परेम पाती पोथी पढ़ैत जे एक दोसरक जानत
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य