प्रार्थना
हे ईश्वर ! समृद्धि की कामना नही तुझसे ,
सक्षम करना इतना तू मुझे ,
विपन्न का सहायक बन सकूँ जिससे ,
प्रसिद्धि की आभिलाषा भी
नही तुझसे ,
आत्मबल हो इतना कि
आत्मसम्मान हीन न हो जिससे ,
पुण्य का प्रताप न जाना तो क्या
पाप विमुक्त रखना ,
अनजाने हो जाये पाप तो
क्षमादान का हस्त रखना ,
प्रज्ञा का सम्मान कर सकूँ ,
अहं निरापद रह सकूँ ,
निर्बल का संबल बनूँ ,
शक्तिमान बन अन्याय का
प्रतिकार करूँ ,
धैर्य हो इतना संकटों विरूद्ध
संघर्ष कर सकूँ ,
वाणी में मधुरता हो , आचरण में प्रतिबद्धता हो ,
आतंक निर्मूल नष्ट करने की निर्भीकता हो ,
ज्ञान प्राप्ति पिपासा हो ,
तत्वज्ञान का लक्ष्य हो ,
वैचारिक स्वतंत्रता हो ,
तर्कसंगत न्याय का पक्ष हो ,
क्रोध ,वैमनस्य, क्लेष ,संताप नष्ट हो ,
प्रेम ,शान्ति , सद्भाव , सहकार भाव पुष्ट हो ,
पुनर्जन्म का बोध नही मुझमें ,
सत्कर्म कर सकूँ मैं इस जीवन में ,
जीवन पथ तुम इतना आलोकित करना ,
कर प्रशस्त सार्थक कर सकूँ मैं जीवन अपना।