प्रार्थना (मधुमालती छन्द)
कर जोड़ के, है याचना, मेरी सुनो, प्रभु प्रार्थना
बल बुद्धि औ, सदज्ञान दो, परहित जियूँ, वरदान दो
निज पाँव पे, होऊं खड़ा, संकल्प लूँ, कुछ तो बड़ा
मुझ से सदा, कल्याण हो, हर कर्म से, पर त्राण हो
अविवेक को, मैं त्याग दूँ, शुचि सत्य का, मैं राग दूँ
किंचित न हो, डर काल का, विपदा भरे, जंजाल का
लेकर सदा, तव नाम को, करता रहूँ, शुभ काम को
परमार्थ ही, निज ज्ञान हो, निश्छल सदा, मुस्कान हो
ना हो दुखी, कोई यहाँ, हो पुष्प सा, सारा जहाँ
संताप का, ना भान हो, वाणी मधुर, रसवान हो
प्रभु नष्ट हो, सब भिन्नता, ना हो कहीं, पर दीनता
भाषा अमर, अपनी रहे, साहित्य की, सरिता बहे
मैं ज्ञान के, आलोक में, अविरल रहूँ, हर शोक में
आदर करूँ, माँ बाप का, नाशक बनूँ, हर पाप का
दौड़े चले, आना प्रभो, जब नाम लूँ, तेरा विभो
ना तोड़ना, विश्वास को, इंसान की, हर आस को
नाथ सोनांचली