प्रारब्ध प्रबल है
जीवन पथ पर कुछ खो जाने पर
मानव हो जाता अधिक विकल है
सबल -निबल नहीं है मानव
बस केवल प्रारब्ध प्रबल है
नीयत तय करती है नियति
क्या खोना और क्या पाना है
एक सत्य सास्वत् है जग में
रोते आए हैं रोते जाना है
बड़ी बात को समझे नहीं मानव
विधाता ने दी तो बड़ी अकल है
सबल -निबल नहीं है मानव
बस केवल प्रारब्ध प्रबल है
भाग्य कर्म से आगे है अब
जो चाहेगा वह दे देगा
लेकिन निश्चित नहीं है ये के
देने के बदले क्या ले लेगा
वक़्त के कठिन थपेड़ों के आगे
जीवन जीना अब कहाँ सरल है
सबल -निबल नहीं है मानव
बस केवल प्रारब्ध प्रबल है
हैसियत बढ़ने पर इतराना
महज मूर्खता है जीवन में
क्या देख सका है मानव
कितना सुकून है संयम में
ग़र संयम को अपना ले तो
जीवन का हर पल उत्कल है
सबल -निबल नहीं है मानव
बस केवल प्रारब्ध प्रबल है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी