प्राण-प्रतिष्ठा(अयोध्या राम मन्दिर)
मंगल ही मंगल हुआ, मंगलमय सब काज।
प्राण प्रतिष्ठा हो रही,राम लला की आज।।
सत्य सनातन धर्म की,बहुत बड़ी है जीत।।
पूरे भारत वर्ष में,गूंज उठा यह गीत।।
पावन बेला हर्ष की,पुलकित सरयू तीर।
पूर्ण प्रतिक्षा हो गई,घर आये रघुवीर।।
स्वागत में श्री राम के,चहुँ दिश मंगलाचार।
सजी नगरिया इस तरह,जैसे हो त्योहार।।
हर-घर दीपक से सजा,स्वर्ण कलश से द्वार।
रंगोली घर आँगना,लटके बंदनवार।।
राम नाम ध्वज से सजा,गली-गली हर ओर।
घर,छत,वाहन पर लगा,भगवा ध्वज की डोर।।
गली-गली में भक्त की,भारी भीड़ अपार।
भक्ति भाव में नाचते,चले राम दरबार।।
घर-घर में कृर्तन-भजन,मंत्र- जाप होमाद।
ढ़ोल नगाड़े बाजते,शुभग शंख का नाद ।।
जागृत अविरल शक्ति है,राम नाम की टेर।
भाव भरी हर भावना, ज्यों शबरी का बेर।।
राम अवध में आ गये, बीत गया वनवास।
कलयुग में लगने लगा, त्रेतायुग आभास।।
सबका मुँह मीठा करें,भोग बनाकर खीर।
कितने वर्षों बाद अब,मिटा पुरातन पीर।।
रहे खुले आकाश में,राम पाँच सौ वर्ष।
भव्य राम मन्दिर बना,अंतस अतुलित हर्ष।।
जन्म भूमि स्थापना,भव्य भवन निर्माण।
हाथ धनुष श्री राम के,औ” तरकश में वाण।।
चमके तीनों लोक में,दिव्य राम का रूप।
बाल रूप छवि राम की,दर्शन दिव्य अनूप ।।
प्रखर दिव्य आलोक से, शोभा ललित ललाम।
अंतस की ज्वाला बुझी,सफल हुआ सब काम।।
कठिन तपस्या से मिला,यह पावन परिणाम।
केवल राम प्रताप ही,जीत सके संग्राम।।
चंदन वंदन कोटिश:, नतशिर करूँ प्रणाम।
सारे मिलकर बोलिये,राम-राम श्री राम।।