प्राण तुम्हारे आने से भी अब क्या ही होगा
प्राण तुम्हारे आने से भी अब क्या ही होगा
धरती के नीचे जिस्म फूलों सा खिल रहा होगा
तकते थे जो नयन निस दिन राह तिहारे
अब नील गगन के आले पर टंगा होगा
तुम थे , थी कुछ मीठे स्वप्न मिलन के
अब उन नयनों में जाने क्या बसा होगा
~ सिद्धार्थ