प्राणदायिनी वृक्ष
वृक्ष हमारा होते संगी-साथी,बसेरा
जिसमें बसते सदा ही प्राण हमारे
अपनी चंद सुविधा हेतु मानव आज
क्यों प्राणदायिनी का कत्ल कर रहा…
जो अपना – पराया, जेष्ठ – कनिष्ठ का
ना करता कभी भेदभाव आजीवन भर
उसके प्रयासों का मुनाफा तो ले लेते हम
फिर भी क्यों ना करते शुक्रगुजार उनका…
जो सदा ही अडल रहने का भव में
झुक झुक कर उठने का, संदेशा देते
हमें और हमारे साथ कई प्राणियों को
वो यथा संभव खुशी देने का करते यत्न…
जिसकी हम सब पूजा अर्चना भी करते
और उसे ही हम काट गिराया भी करते
हे मानव ! ऐसी पूजा पाठ का क्या फ़ायदा ?
जब हमारा, आगामी कल ही सुरक्षित न रहे…
चलो चले आज का दिवस है कुछ विशेष
एक वृक्ष खुद लगाए निज आगामी कल हेतु
और कुछ गैरों को प्रेरित करें एक वृक्ष लगाने को
ताकि आज और आगामी कल हमारा सुरक्षित रहे…