प्राकृतिक सुंदरता
प्राकृतिक सुंदरता
मैं देखुं जिस ओर सखी री,
मेरे सामने प्राकृतिक सौंदर्य।
जल को देखके, थल को देखके,
हो गई मै तो बावरिया।
नभ की गरजती बिजली देखी,
देखी हिम गिरी की चोटियां।
झरने को देख के मनवा डोले,
जैसे तालाब मे गागरिया।
बाग-बगीचे की शोभा न्यारी,
फूलों से महकी क्यारी-क्यारी।
सुन कर मधुकर की गुंजन को,
मन की बाजी बांसुरिया।
पवन बसंती राग सुनाए,
मस्त दरिया बहता जाए।
कल-कल स्वर में बहती सरिता,
मेघा की बाजे पायलिया।
डाल-डाल पर पंछी घूमे,
फूल-फूल पर तितली झूमे।
बेला परमतवाली होकर,
कूके श्यामा कोयलिया।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश