प्रहरी नित जागता है
अल्पायु में वीरगति पाने वाले, यहाॅं असंख्य जांबाज़ वीर हुए हैं।
जब भी पुकारा, शत्रु को मारा, शान से चमकती शमशीर हुए हैं।
इसके आते ही शत्रु का खेमा, अपना मुॅंह छिपाते हुए भागता है।
हम सब घर पर चैन से सोऍं, इसलिए यह प्रहरी नित जागता है।
रेत के टीले, लू के झोंके, बर्फीली परत या ठंडी हवा का झोंका।
इनकी सहनशक्ति को देखकर, निष्ठुरता का आयाम तक चौंका।
प्रत्येक मौसम की बेदर्दी को, यह धडल्ले से खूॅंटी पर टाॅंगता है।
हम सब घर पर चैन से सोऍं, इसलिए यह प्रहरी नित जागता है।
फौजी को राष्ट्र की आन के बदले, ये जान बहुत छोटी लगती है।
रूखी-सूखी जो भी मिल जाती, उसे तो बस वही रोटी लगती है।
यह इस धरती पर प्राण वारे, न शत्रु से दया की भीख माॅंगता है।
हम सब घर पर चैन से सोऍं, इसलिए यह प्रहरी नित जागता है।
सैन्य अभ्यास ऐसा अद्भुत, जहां संकोच बाहर निकल जाता है।
दूभरताओं से डरता नहीं, सैनिक इनके ऊपर से उछल जाता है।
इसका पथ न रोकें ये सरहदें, हर बाधा को पलभर में लाँघता है।
हम सब घर पर चैन से सोऍं, इसलिए यह प्रहरी नित जागता है।