प्रस्तर
प्रस्तर
प्रस्तर से प्रस्तर जुड़े
बना स्नेहिल परिवार
सिंधु तीरे कुटुंब खड़ा
है किसका यह विचार।
दूर क्षितिज नजरें बढ़ी
आशाओं का सागर
लेकर हाथों में हाथ
चलते भरने गागर ।
सुख-दुख से दूर रहे
कह रहा यह पाषाण
हम दोनों के तीन हैं
दे रहा यह प्रमाण।
अद्भुत मन की कल्पना
अनुपम किया है काम
विधाता रचना रच दी
पाषाण फुकी जान ।
ललिता कश्यप गांव सायर
जिला बिलासपुर ( हि० प्र०)