व्यंग्य कविता- "गणतंत्र समारोह।" आनंद शर्मा
मेरे भारत की नारी - डी. के निवतिया
"आधी है चन्द्रमा रात आधी "
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
हरि हरि के जाप ने हर लिए सारे कष्ट...
नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Don’t worry, the right one won’t leave.
तुलसी युग 'मानस' बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
नयन मेरे सूखने के कगार पर हैं,
*राज सारे दरमियाँ आज खोलूँ*
जो भुगत कर भी थोथी अकड़ से नहीं उबर पाते, उन्हें ऊपर वाला भी
चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू