प्रश्न खत्म
✒️?जीवन की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अगर किसी व्यक्ति को निरंतर तारीफें ही मिलती रहें ,निंदा या शिकायतें नहीं तो यकीन मानिये वो इंसान -दुसरे इंसान को इंसान मानना छोड़ देगा …और सबसे बड़ी बात की उसके कदम थम जायेंगें …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब इंसान अपना सब कुछ खो बैठता है तभी वो अपने आप को जान पाता है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब आप केवल अपने आप में /ईश्वर में खोये रहते हैं -लोगों की बातों को दिल पर लेना छोड़ देते हैं तब लोगों को काफी बेचैनी होती है की आखिर हुआ क्या ,फिर वो आपको घमंडी ,स्वार्थी और ना जाने कितने शब्दों के तमगों से नवाजते हैं …,
आखिर में ओशो /आचार्य रजनीश द्वारा कही एक ही बात समझ आई की जैसे जैसे आप अपने भीतर उतरते जाओगे ,आपके संशय -शंका -प्रश्न खत्म होते जायेंगें …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान