प्रशंसा भरे दोहे
नेक प्रशंसा सीख तू, सबको भाए ख़ूब।
पल में सारे काम हों, जाए दुख भी डूब।।
हँसता देखें आप को, भागें सारे रोग।
बासी बेंगन देखके, रोएँ हँसते लोग।।
हँसी दवा है रोग की, करती असर तुरंत।
हँसो हँसाओ यार तुम, सभी ग़मों का अंत।।
हँसके बढ़ता ख़ून है, जानो प्यारी बात।
सूरज निकला देखके, खिलता सबका गात।।
हँसके करते काम जब, होते सारे ठीक।
जाना मंज़िल पार तो, पकड़ो यारो लीक।।
हँसना दो पल का सुनो, सौ ग़म करता दूर।
प्यासे को दो बूँद जल, लगती अमृत हुज़ूर।।
दिल से हँसना जीत ले, हर महफ़िल का प्यार।
जैसे गुलशन मोहता, मिलता संग बहार।।
सोना चाँदी हार के, मिलती ख़ुशी न यार।
दिल का हिस्सा है खुशी, नहीं एक व्यापार।।
आँसू मोती आँख का, टूटे कभी न मीत।
जैसे सुर बिन बोर है, अच्छा प्यारा गीत।।
हँसके जीते यार दिल, रोकर जाए हार।
ख़ुशी सदा ही फूल दें, दुखी करे है ख़ार।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
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