Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2023 · 1 min read

रिश्ते

ये रिशते भी बड़े अजीब होते है
कभी किसी के तो कभी किसी के करीब होते है
तुतलाते तो माँ के जुबा मिलते ही महबूब के करीब होते है
लड़खड़ाते तो पिता के जवां होते ही दोस्तों के करीब होते है
क्यों रिश्ते इतने अजीब होते है, चाहे न चाहे रिश्ते अजीब होते है
सुना है वक़्त है बदलाव का रिश्तों के भटकाव का
इक रिश्ते में कई रिश्ते छुपे चले जाते है
जिन्हे ढूंढते है आसपास वो दूर चले जाते
पर रिश्ते तो रिश्ते ही कहलाते है
कभी अपने ही पराए तो कभी पराये अपनोंकी पहचान दे जाते है
रिश्तों के झंझावात में जीवन सारा जाता है, फिर भी रिश्तों को समझ नही पाता है
आदमी रिश्तों के मझधार में बहता चला जाता है, कभी डुबता तो कभी उतरता है
रिश्ते निभाते निभाते खुद को भूल जाता है, फिर भी रिश्तों को समझ नहीं पाता है
रिश्ते तो रिश्ते कहलाते हैं पर कोई समझ नहीं पाता है

Language: Hindi
136 Views
Books from Sanjay kumar mallik
View all

You may also like these posts

मतदान जागरूकता
मतदान जागरूकता
Ghanshyam Poddar
4064.💐 *पूर्णिका* 💐
4064.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
यह देख मेरा मन तड़प उठा ...
यह देख मेरा मन तड़प उठा ...
Sunil Suman
क्या देखा
क्या देखा
Ajay Mishra
जीवन छोटा सा कविता
जीवन छोटा सा कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
रिश्तों में जब स्वार्थ का,करता गणित प्रवेश
रिश्तों में जब स्वार्थ का,करता गणित प्रवेश
RAMESH SHARMA
महापुरुषों की सीख
महापुरुषों की सीख
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"कलाकार"
Dr. Kishan tandon kranti
#क़तआ / #मुक्तक
#क़तआ / #मुक्तक
*प्रणय*
मनोरंजन
मनोरंजन
Sudhir srivastava
*सब पर मकान-गाड़ी, की किस्त की उधारी (हिंदी गजल)*
*सब पर मकान-गाड़ी, की किस्त की उधारी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
एक बार हमें है मिलती ये जिंदगी भी यारों
एक बार हमें है मिलती ये जिंदगी भी यारों
Shinde Poonam
आ अब जेहन में बसी याद का हिस्सा मुक़र्रर कर लेते हैं
आ अब जेहन में बसी याद का हिस्सा मुक़र्रर कर लेते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
भाषाओं पे लड़ना छोड़ो, भाषाओं से जुड़ना सीखो, अपनों से मुँह ना
भाषाओं पे लड़ना छोड़ो, भाषाओं से जुड़ना सीखो, अपनों से मुँह ना
DrLakshman Jha Parimal
शीर्षक – कुछ भी
शीर्षक – कुछ भी
Sonam Puneet Dubey
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
क्या लिखते हो ?
क्या लिखते हो ?
Atul "Krishn"
कविता
कविता
Rambali Mishra
आशा की किरण
आशा की किरण
शशि कांत श्रीवास्तव
What is the new
What is the new
Otteri Selvakumar
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
Paras Nath Jha
दोहा समीक्षा- राजीव नामदेव राना लिधौरी
दोहा समीक्षा- राजीव नामदेव राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नंद के घर आयो लाल
नंद के घर आयो लाल
Kavita Chouhan
घर अंगना वीरान हो गया
घर अंगना वीरान हो गया
SATPAL CHAUHAN
अगर लोग आपको rude समझते हैं तो समझने दें
अगर लोग आपको rude समझते हैं तो समझने दें
ruby kumari
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
कवि रमेशराज
सदा प्रसन्न रहें जीवन में, ईश्वर का हो साथ।
सदा प्रसन्न रहें जीवन में, ईश्वर का हो साथ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
VINOD CHAUHAN
बहर- 121 22 121 22 अरकान- मफ़उलु फ़ेलुन मफ़उलु फ़ेलुन
बहर- 121 22 121 22 अरकान- मफ़उलु फ़ेलुन मफ़उलु फ़ेलुन
Neelam Sharma
Loading...