“प्रयास”
“प्रयास”
दवा और दुआ मिलना तो जीवन,
सोच और समझ की ज़रूरत!
भरोसा और समझौता तो सम्मान,
मानना या मनाना!
क्या कठिन होता निभाना?
कंटकों की चुभन का अहसास,
सहज हो कर मुस्कुराना!
क्या कठिन होता निभाना?
कुछ तो अच्छा..ना हो बूरा,
खेल का अंत तो होगा पूरा!
ख़्याल ही तो अपनाना!
क्या कठिन होता निभाना?
इलाज सम्भव,सावधानी से मिटाना,
वीरान को रौनक़ का द्वार भी दिखाना,
ताज़ा हो खबर, सुनना और सुनाना!
क्या कठिन होता निभाना?????
✍?सपना
(बैंकॉक,थाईलैंड)