प्रयत्न कर, तू हल निकलेगा
प्रयत्न कर, तू हल निकलेगा
आज नहीं तो, कल निकलेगा।
अर्जुन के तीर सा, तू सध,
मरूस्थल से भी, जल निकलेगा।
मेहनत कर, सपने रूपी पौधों को पानी दे,
बंजर जमीन से भी ,फल निकलेगा।
जिंदा रख, दिल में उम्मीदों को
गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा।
‘ दीप’ उत्साह रख , खुद पर विश्वास कर,
तू अपने लक्ष्य तक ,बहुत जल्दी पहुँचेगा।