Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2024 · 1 min read

प्रमाणिका छंद आधारित गीत

प्रमाणिका छंद कुल 8 वर्ण
जभान राजभा लगा
121 212 12

‘रक्षक’

प्रचंड जोश साथ में
उठा कटार हाथ में

मिटा चलें कुचाल को।
अनर्थ के सवाल को
कुदृष्टि के प्रहार को।
गिरे हुए विचार को।
निशीथ काल पाथ में।
उठा कटार हाथ में

पिशाच भूत ताड़ लो
पहाड़ सी दहाड़ लो
छुपे हुए भुजंग को,
विशाक्त से कुसंग को
उतार काल क्वाथ में
उठा कटार हाथ में।

लिखो किताब आन की।
कुलीन खानदान की।
गिरो नहीं चरित्र से
बचो सदा कुमित्र से
रखो भरोस नाथ में
उठा कटार हाथ में

रखो निगाह चोर पे
सतर्क बैठ छोर पे।
विधर्म को पछाड़ दो
जमी जड़ें उखाड़ दो
धरो त्रिपुंड माथ में
उठा कटार हाथ में

स्वरचित व मौलिक सृजन
-गोदाम्बरी नेगी

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 30 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Godambari Negi
View all
You may also like:
टूटते सितारे से
टूटते सितारे से
हिमांशु Kulshrestha
🚩पिता
🚩पिता
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
Ramnath Sahu
भीगी पलकें( कविता)
भीगी पलकें( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
ख़त्म अपना
ख़त्म अपना
Dr fauzia Naseem shad
..
..
*प्रणय प्रभात*
In the bamboo forest
In the bamboo forest
Otteri Selvakumar
सबसे सुगम हिन्दी
सबसे सुगम हिन्दी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*पत्थरों  के  शहर  में  कच्चे मकान  कौन  रखता  है....*
*पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है....*
Rituraj shivem verma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
Neelofar Khan
इंसान की फ़ितरत भी अजीब है
इंसान की फ़ितरत भी अजीब है
Mamta Rani
20
20
Ashwini sharma
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
शराब मुझको पिलाकर तुम,बहकाना चाहते हो
शराब मुझको पिलाकर तुम,बहकाना चाहते हो
gurudeenverma198
पितर पाख
पितर पाख
Mukesh Kumar Sonkar
मुझे भी अब उनकी फ़िक्र रहती है,
मुझे भी अब उनकी फ़िक्र रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
कवि दीपक बवेजा
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
Nazir Nazar
दोनों मुकर जाएं
दोनों मुकर जाएं
अरशद रसूल बदायूंनी
जिंदगी के तराने
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
अरविंद भारद्वाज
*जय हनुमान वीर बलशाली (कुछ चौपाइयॉं)*
*जय हनुमान वीर बलशाली (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
क्या यह कलयुग का आगाज है?
क्या यह कलयुग का आगाज है?
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
Good morning 🌅🌄
Good morning 🌅🌄
Sanjay ' शून्य'
नमी आंखे....
नमी आंखे....
Naushaba Suriya
यादों की शमा जलती है,
यादों की शमा जलती है,
Pushpraj Anant
हमेशा एक स्त्री उम्र से नहीं
हमेशा एक स्त्री उम्र से नहीं
शेखर सिंह
"अहसास की खुशबू"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...