प्रभु
प्रभु जय जय जय कार हो।
तुझ से परे ना हो मेरा जीवन।
मैं की परिभाषा
जीव से ही जुड़ा है।
खुद से आत्मसाक्षात्कार का नाता है।
खुद ही भाग्य विधाता इतना निर्णय तो देखता जीवन ।
प्रेम में हो जाऊं, सारा प्यार का तुझ से ही नाता।
तु ही भाग्य विधाता।
सुख दुख से निकल पाते जीवन।
जीवन को सच्चाई से जी पाते जीवन।
रहनुमा बनकर जी पाते।
सुखदाता कर्मविधाता हो,
कर्म मय जगत में विधि लेखा
आत्मा , परमात्मा का नाता
सारा जगत तुझसे ही पाता ।