प्रभु
आऊंगा आपके दर मे प्रभु, एक आधी मुस्कान लेके //
चेहरे मे थोड़ी चिंता और मन मे एक विश्वास लेके //
सुन लेना मेरी प्रभु, एक डूबती कस्ती लेके आया हू //
मजधार मे अटकी है मेरी नइया, उसका पतवार लेके आया हू //
थोड़ा भयभीत हु, उस भय का समाधान लेने आया हू //
खुदमे हू उलझा, उसका निवारण लेने आया हू //
आपतो हो जगत रचईता, श्रृष्टी निर्माता, आपके समक्ष
आया हू //
सुन लेना मेरी प्रभु, अपनी डूबती कस्ती लेके आया हू //
:~ श्रेयस सारीवान