प्रभु हैं खेवैया
प्रभु है एक खेवैया
हृदय की तरंगिणी में,
बहती जीवन की नैया ।
सुख-दुःख की हिलोरे,
तू ही है एक खेवैया ।
माया के पाश-बध में,
जग है भूल – भूलैया ।
भक्ति की डोर बाँधी,
तू ही है एक खेवैया ।
बँधकर मोह-पाश में,
ढूँढे सुख की शैय्या ।
मानव-मन भ्रमित हुआ,
तू ही है एक खेवैया ।
तैतीस कोटि देव देह में,
धारण करती गो मैया।
गो-सेवा करते भक्तों का,
तू ही है एक खेवैया ।
हिरण्यकश्यपु असुर-वंश में,
जन्मा विष्णुनाम लेवैया ।
अबोध प्रहलाद के जीवन का,
तू ही है एक खेवैया।
– डॉ० उपासना पाण्डेय