प्रभु लीला
******* प्रभु-लीला ********
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हे!मालिक रखो हमें चरणों में,
हर पल बीते तुम्हारे चरणों में।
हम बन्दे सारे मूर्ख अज्ञानी,
तेरी लीला हमने नहीं जानी,
तन-मन सींच लो तेरे चरणों में।
हे! मालिक रखो हमें चरणों में।
जग-नभ का तो तू ही है स्वामी,
तेरे रंग की चढ़ी है सुनामी,
दीन दुखी सदा झुके चरणों में।
हे! मालिक रखो हमें चरणों मे।
दया – दृष्टि हम पर तुम रखना,
तेरे रंग का रस हमको चखना,
भक्ति – वर्षा हो तेरे चरणों में।
हे! मालिक रखो हमे चरणों में।
मनसीरत तेरे दर का सवाली,
जगत बगिया का तू ही माली,
पुष्प – बरखा हो तेरे चरणों में।
हे!मालिक रखो हमे चरणों में।
हे!मालिक रखो हमे चरणों में,
हर पल बीते तुम्हारे चरणों में।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)