प्रभु का रीत कहा तुम जानो
प्रभु की रीत कहा तुम जानो…
दुख आवे तो करो गुणगान
सुख आवे तो गए भुलाए…
प्रभु की रीत कहा तुम जानो
मन में कुंठा लिए फिरे….
जन्म – जन्म से हो परेसान
कभी नहीं किए प्रभु का गुणगान..
प्रभु का रीत कहा तुम जानो
समय से कर लेते गुणगान…
ऐसा कर्म करे तुम काही
जपो निरंतर प्रभु का नाम….
प्रभु की रीत कहा तुम जानो।
राम नाम तुम जप लेते….
हरी हरी तुम केह लेते
जपो निरंतर प्रभु का नाम
प्रभु की रीत कहा तुम जानो?
??जय श्री राम??
लेखक – कुंवर नितीश सिंह