प्रदूषण की छांव में दिल्ली
चारों तरफ बिछा प्रदूषण का जाल
दिल्लीवालों का हुआ जीना बेहाल
समझ नहीं आता क्या करें
दिल्ली छोड़ कहीं बाहर चले जाये
या रहकर यहां प्रदूषण की वेदी पर बलि चढ़ जाये
पक्ष – विपक्ष के दिख रहे है, बदले – बदले बोल
प्रदूषण पर बाते कर रहे है गोल-मोल
आनेवाले है चुनाव
कहीं उसी का नहीं तो यह प्रभाव
आधी आबादी हो रही हैरान – परेशान
नहीं दिख रहा कोई समाधान
मानव जनित कार्यों का ही यह सब परिणाम
मुश्किल हुआ अब श्वास का लेना
शुद्द हवा बिना कैसे जीना
घुंट-घुंट कर जी रहा आम इंसान
अभी तक न हुआ कोई इंतजाम
ग्लोबल वार्मिंग कर रही सावधान
प्रदूषण पर लगाओ लगाम
मत बन तू इतना नादान
अन्यथा भोगने पडेंगे इसके घोर परिणाम
हर तरफ सिर्फ प्रदूषण की छाया
वाहनों, कल-कारखाने के धुएं, दिल्लीवालों के सांसों में समाया
नदिया बनी नाला, यमुना का रंग हुआ प्रदूषण से काला
जल – वायु में घुले ज़हर, लोगों के जीवन पर पड़ रहा असर
धीमी पड़ रही है विकास की रफ़्तार
दिल्ली में बढ़ रही है प्रदूषण की महा मार
प्राणदायिनी वायु की प्रदूषित होने की कहानी
आज है हर एक की जुबानी