#मालिनी छंद
मालिनी छंद की परिभाषा और कविता
#मालिनी छंद
यह एक वर्णिक छंद है। इसमें चार पद होते हैं। इसके प्रत्येक पद में क्रमशःनगण,नगण,मगण,यगण,यगण होते हैं। इस छंद में पन्द्रह अक्षर होते हैं और प्रत्येक पद की यति आठ-सात अक्षरों पर होती है।
नगण=III/111
नगण=III/111
मगण=SSS/222
यगण=ISS/122
यगण=ISS/122
मालिनी छंद की कविता #प्रथम मिलन
111/111/222/122/122
प्रथम /मिलन/ यादों में/ हरा-सा /रहेगा।
तरह कुसुम /के मानो/ खिला-सा/ रहेगा।
लब झि/झक स/मेटे-से /खुले थे /अदा से,
हलच/ल दिल /वो दोस्तो/ सुनाता /रहेगा।
हृदय कथन सच्चे से इरादा लिए थे।
हमसफ़र बने जो एक वादा लिए थे।
रुह नरम बने दीदार को थी जगी सी,
नयन कमल-से इश्क़े-तक़ाज़ा लिए थे।
मुख झिलमिल जन्मों का इशारा लिए था।
मन खिलखिल संगी का सहारा लिए था।
तन-मन-धन से सौंपा खुदी को फिदा हो,
दिल सजकर प्यारा-सा नज़ारा लिए था।
शबनम बन आँसू थे ख़ुशी-हार मोती।
सरग़म बन साँसें प्यार की कसौटी।
गरम नरम आँहें जो मिली थाम बाँहें,
सजधजकर आँखों में हसीं राज बोती।
आर.एस.’प्रीतम’