Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Mar 2022 · 3 min read

प्रथम मिथिलानी लोकगायिका और बिहार के लोकगीतों की स्वर-कोकिला: पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी

विंध्यवासिनी देवी को ‘’बिहार कोकिला’’ भी कहा जाता है जिन्होंने न केवल बिहार के लोकगीतों को अपनी आवाज दी बल्कि उनका संकलन भी किया। विंध्यवासिनी देवी का जन्म 5 मार्च 1920 को मुजफ्फरपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम जगत बहादुर था। जन्म के समय ही उनकी माताजी का देहांत हो गया था।

विंध्यवासिनी का लालन-पालन और उनकी शीक्षा-दीक्षा उनकी नानी के घर हुआ। उनके नाना भजन गाता थे। विंध्यवासिनी भी उनके साथ बैठकर भजन गातीं। यहीं से उनका मन संगीत में रम गया और 7 वर्ष की उम्र तक आते-आते वह लोकगीतों के गायन में सिद्ध हो चुकी थीं। नाना के प्रोत्साहन से गुरु क्षितीश चंद्र वर्मा से सानिध्य में उनकी संगीत में विधिवत शिक्षा आरंभ हुई।

मात्र 11 वर्ष की आयु में सहदेश्वर चंद्र वर्मा से विंध्यवासिनी का विवाह हुआ। श्री वर्मा पारसी थियेटर में संगीत निर्देशक थे। इसलिए ससुराल में भी उन्हें संगीत का वातावरण मिला। 1945 में विंध्यवासिनी का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम हुआ।लेकिन उस समय मिथिलानी को सार्वजनिक कार्यक्रम में गीत गायन करना बहुत बड़ी बात थी,अलोचना होने लगी देखिये उनकी बेटी नटुआ बजा कार्य करै छै, लेकिन यह जल्द प्रंशसा में बदल गई, और उसके बाद
पटना आने के बाद उन्होंने हिन्दी विद्या पीठ, प्रयाग से विशारद और देवघर से साहित्य भूषण की उपाधि प्राप्त की और फिर पटना के आर्य कन्या विद्यालय में संगीत शिक्षिका की रूप में नौकरी शुरू की। 1949 में लड़कियों की संगीत शिक्षा के लिए उन्होंने विंध्य कला मंदिर की स्थापना की। इस संस्थान को वह अपना मानस पुत्री कहती थीं।

1948 में विंध्यवासिनी देवी द्वारा निर्मित संगीत रूपक ‘मानव’ को जबर्दस्त ख्याति मिली। बिहार सरकार की अनुशंसा पर उसे अनेक बार मंचित किया गया। उनके इसी संगीत रूपक की वजह से आकाशवाणी के तत्कालीन महानिदेशक जगदीश चंद माथुर का ध्यान विंध्यवासिनी देवी की ओर आकृष्ट हुआ और उन्होंने औपचारिकताओं की सीमा तोड़कर बिहार की इस कला प्रतिभा को आकाशवाणी के पटना केंद्र में लोकसंगीत संयोजिका के पद पर नियुक्त किया। 1979 तक वे इसी पद पर कार्यरत रहीं।

मगही, मैथिली और भोजपुरी संगीत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 1974 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनकी कला सेवाओं और उपलब्धियों को देखते हुए संगीत नाटक अकादमी, दिल्ली ने अपनी सदस्यता सौंपी। गणतंत्र दिवस के उत्सवों में भी उन्होंने कई बार सांस्कृतिक दल का प्रतिनिधित्व किया।

विंध्यवासिनी देवी फिल्में में भी सफल रहीं। फिल्मों में उन्होंने अपनी शुरुआत मगही फिल्म ‘भैया’ से की, जिसमें संगीत निर्देशन चित्रगुप्त का था और गीत के बोल विंध्यवासिनी देवी के थे। उन्होंने मैथिली फिल्म कन्यादान के लिए संगीत निर्देशन और गीत लेखन का भी कार्य किया।इसके अलावा यहाँ के लोकगीत पर आधारित संगीत-नृत्य रुप के रचना आ प्रसारण किया, उसमें में कुछ प्रमुख है -वर्षा मंगल, ‘सामा-चकेवा’, ‘जट-जटिन’, ‘सुहावन सावन’, विवाह मंडप’, ‘नन्द पर बाजे बधैया’, ‘जनमे राम रमैया, ‘रामलीला, ‘राधा ऊधो संवाद’, ‘जमुना तीरे बाजे बेंसुरिया’, ‘रासलीला, ‘आयल बसंत बहार, चांदनी चितवा चुरावे’, ‘कान्हा संग खेलब होरी”, ‘संदेशा’, ‘सावन उमड़े बदरिया ‘चौहट’, झिझिया’, ‘डोमकच, ‘बड़ो बराइन’, ‘पंवडिया’, ‘वर्धमान महावीर’, भगवान बुद्ध’, ‘वैशाली महिमा ‘बटगमिनी’, ‘बेटी की विदाई, ‘सावन आया’, ‘संयुक्त स्वयंवर तथा ‘जय माँ दुर्गे’ आदि। इस सब संगीत नृत्य रुपकन में बिहार के पारपारिक और देवीजी के स्वरचित लोकगोत के भरमार हैं , जो लगभग 5000 ऊपर है लोग इनके गीत दिवाने हुआ करते थे जब पटना और लखनऊ से मैथिली सप्ताहिक रेडियो कार्यक्रम
आती थी बैसकी ,गीतनाद, लोकगीत आदि और एक सुमधुर आवाज आती थी ,हम मिथिलाक बेटी किछ गीत नाद सुनू लोक रेडियो चिपक जाते थे

फणीश्वरनाथ रेणू के उपन्यास ‘मैला आंचल’ पर बनने वाली फिल्म ‘डागडर बाबू’ के लिए आर.डी. बर्मन के निर्देशन में दो गीत लिखे थे,

Language: Hindi
1075 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"करिए ऐसे वार"
Dr. Kishan tandon kranti
"राखी का तोहफा"
Jyoti Roshni
..
..
*प्रणय*
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वृक्ष की संवेदना
वृक्ष की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
3642.💐 *पूर्णिका* 💐
3642.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
नशीहतें आज भी बहुत देते हैं जमाने में रहने की
नशीहतें आज भी बहुत देते हैं जमाने में रहने की
शिव प्रताप लोधी
5) कब आओगे मोहन
5) कब आओगे मोहन
पूनम झा 'प्रथमा'
"उत्सवों का महत्व"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*कलम (बाल कविता)*
*कलम (बाल कविता)*
Ravi Prakash
आखिरी वक्त में
आखिरी वक्त में
Harminder Kaur
जहरीले और चाटुकार  ख़बर नवीस
जहरीले और चाटुकार ख़बर नवीस
Atul "Krishn"
" একে আমি বুকে রেখে ছী "
DrLakshman Jha Parimal
जीवन में आगे बढ़ना है
जीवन में आगे बढ़ना है
Ghanshyam Poddar
भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता
भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता
Dr MusafiR BaithA
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
Dr fauzia Naseem shad
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दोस्ती
दोस्ती
Phool gufran
Dark Web and it's Potential Threats
Dark Web and it's Potential Threats
Shyam Sundar Subramanian
कैसे भूले हिंदुस्तान ?
कैसे भूले हिंदुस्तान ?
Mukta Rashmi
कहां जायेंगे वे लोग
कहां जायेंगे वे लोग
Abhishek Rajhans
सिख जीने की
सिख जीने की
Mansi Kadam
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
कवि रमेशराज
प्रेम स्वप्न परिधान है,
प्रेम स्वप्न परिधान है,
sushil sarna
-सत्य को समझें नही
-सत्य को समझें नही
Seema gupta,Alwar
यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
Meenakshi Masoom
ये बच्चे!!
ये बच्चे!!
meenu yadav
अनंत प्रकृति का नव आगमन
अनंत प्रकृति का नव आगमन
Anant Yadav
Tarot Preeti T Astrosage session
Tarot Preeti T Astrosage session
कवि कृष्णा बेदर्दी 💔
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
Shekhar Chandra Mitra
Loading...