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24 Jul 2024 · 1 min read

प्रतीक्षा

✍️ प्रतीक्षा ✍️

नहीं नींद आती नहीं रात जाती
नहीं भूल पाती नहीं याद जाती।
न मालूम होती कि लेते परीक्षा
प्रियतम की करती ये सांसें प्रतीक्षा।।

कभी घर के आंगन भी लगते हैं सूना
देते बढ़ा अब मेरे दुःख ये दूना।
कैसे भला मैं करूंगी समीक्षा
प्रियतम की करती ये सांसें प्रतीक्षा।।

कभी बावरा मन ये पूछे हवा से
खुशी काश होती किसी की दुआ से।
कभी गुरु जो देते मुझे आके दीक्षा
प्रियतम की करती ये सांसें प्रतीक्षा।।

गए छोड़ प्रियवर मैं आकुल हुई हूं
चिंता ने मारा कि व्याकुल हुई हूं।
कभी करती घायल मुझे मेरी इच्छा
प्रियतम की करती ये सांसें प्रतीक्षा।।

सताओ न अब यूं मुझे तुम बता दो
तुम्हें ढूंढ़ लूं मुझको अपना पता दो।
दिशा दे गई अब तो “रागी” की शिक्षा
प्रियतम की करती ये सांसें प्रतीक्षा।।

🙏 कवि 🙏
राधेश्याम “रागी” जी
कुशीनगर उत्तर प्रदेश से
मो0 : 9450984941

Language: Hindi
2 Likes · 68 Views
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