प्रतीक्षा की स्मित
मौसम बदल रहा है..
और …
मन भी भरा-भरा है।
गौरैया और खेत,
गंगा किनारे की रेत..
तुम्हारे आने की
मुलायम आहट सुन रहे हैं..
काॅंप रहे हैं..
बाबा के बेंत!
भावुक हो चमकी हैं
दादी की ऑंखें निस्तेज!
पाॅंव पखारने को बैठी है
नभ की नीलिमा!
छनक उठी है शाखों पर
इठलाती अरुणिमा..
सरसों की बालियोॅं में
शैशव नृत्य कर रहा है।
बाल दंत-पंक्तियोॅं सा
मेघ मचल रहा है।
ममता से भीगा ऑंचल
रह-रह सजल हुआ है।
देहरी का सूनापन भी
थोड़ा तरल हुआ है
जबसे ख़बर मिली है..
कि ..
बिटिया है आने वाली..
छलछला पड़े हैं ताख़े
घर दीप महल हुआ है।
तुम मायके की रौनक
माॅं की छुपी ख़ुशी हो
स्वागत है आगमन पर
बिटिया तुम ज़िंदगी हो!
रश्मि लहर